100 शहीदों का सवाब,100 Shahido Ka Sawab,
* 100 शहीदों का सवाब *
* हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जो कोई फसादे उम्मत के वक़्त मेरी सुन्नत को मज़बूती से थामे रहेगा उसे 100 शहीदों का सवाब मिलेगा
📕 इब्ने माजा,जिल्द 3,सफह 360
यही है वो वक़्त जबकि 1 नहीं कितनी ही सुन्नतें मुर्दा होती जा रही है,और इसका ज़िम्मेदार कोई और नहीं बल्कि हम ही हैं,हम इस क़दर दुनिया में खो गये हैं कि हमे ज़रा भी होश नहीं रहा कि इक दिन मौत भी आनी है,बस हर दम एक ही ख्याल रहता है हाय पैसा हाय पैसा हाय पैसा,हराम हलाल की तमीज़ हमे करनी नहीं,नमाज़ें हमे पढ़नी नहीं,रोज़े हमे रखने नहीं,हज तो बस ख्यालों मे ही कर लेते हैं,ज़कात हम खुद ही खा जाते हैं,खड़े होकर खाना पीना अब स्टैंडरी है,नंगा घूमना फैशन,दाढ़ी ना रखना स्मार्टनेस,औरतों का पर्दा करना भारी बोझ,कुल मिलकर आज हर सुन्नत ही मुर्दा हो चुकी है तो इस ज़माने में जो भी शख्स कोई एक भी सुन्नत ज़िंदा कर देगा यानि उस पर अमल करना शुरू कर देगा तो उसे 100 शहीदों का सवाब मिलेगा,और इस्लाम में एक शहीद की क्या हैसियत है और उसका सवाब कितना है उसको जानने के लिए ये समझिये कि मौत की तक़लीफ के बारे मे रिवायत है कि
* किसी को अगर 1000 तलवार के ज़ख्म दिये जायें तो इसकी तक़लीफ मौत की तक़लीफ से कहीं ज़्यादा हल्की होगी
📕 शराहुस्सुदूर,सफह 31
मगर शहीद के बारे में आता है हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि शहीद को मौत की बस इतनी ही तक़लीफ होती है जितनी चींटी के काटने से होती है और अल्लाह के यहां उसे 6 इनामात दिए जाते हैं
1. उसके खून का पहला क़तरा ज़मीन पर गिरने से पहले ही उसे बख्श दिया जाता है और उसकी रूह को फौरन जन्नत में ठिकाना मिलता है
2. क़ब्र के अज़ाब से महफूज़ हो जाता है
3. उसे जहन्नम से रिहाई मिल जाती है
4. उसके सर पर इज़्ज़त का ताज रखा जायेगा
5. उसके निकाह में बड़ी बड़ी आंखों वाली 72 हूरें दी जायेंगी
6. उसके अज़ीज़ों में से 70 के हक़ में उसकी शफाअत क़ुबूल की जायेगी
📕 मिश्कात शरीफ,सफह 333
अल्लाह का एहसान देखिये कि इतनी बड़ी नेमत उस मुसलमान को दे रहा है जो उसके महबूब की सुन्नतों को सख्ती से थामे रहेगा,लिहाज़ा सुन्नतों को ज़िंदा कीजिये और शहीद का मर्तबा पाईये
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