सर ढ़ांकना,Amama Shareef Ya Topi Surr Par Lagana Kaisa?
🔶🔶🔶सर ढ़ांकना🔶🔶🔶*
* टोपी पहनना हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से साबित है
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 16,सफह 55
* अमामा शरीफ के साथ एक नमाज़ 70 नमाज़ों के बराबर है
📕 अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 56
* नमाज़ में अगर टोपी गिर जाये तो उठा लेना अफज़ल है मगर बार-बार गिरे तो ना उठायें और दोनों हाथों से भी ना उठायें कि ये अमले कसीर हो जायेगा जो कि नमाज़ को फासिद कर देता है
📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफह 416
* जो लोग आजिज़ी की नियत से नंगे सर नमाज़ पढ़ते हैं तो कोई हर्ज नहीं
📕 अहकामे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 130
* लेकिन अगर नमाज़ की तहक़ीर मुराद है मसलन ये सोचकर नंगे सर नमाज़ पढ़ी कि नमाज़ कोई इतनी अहम इबादत नहीं है जब तो माज़ अल्लाह कुफ्र है
📕 अनवारुल हदीस,सफह 91
एक मुसलमान जल्द बाज़ी में नंगे सर नमाज़ तो पढ़ सकता है मगर नमाज़ की तहक़ीर की नियत रखे ये तो हो ही नहीं सकता मगर आज कल कुछ अलग फिरके के लोगों के यहां नंगे सर नमाज़ पढ़ने का मामूल बन गया है लिहाज़ा इससे बचना ज़रूरी है
* औरतों के बाल सतर में दाखिल हैं जिनका छुपाना फर्ज़ है सो उनका इतना बारीक दुपट्टा पहनकर नमाज़ पढ़ना कि बालों की सियाही ऊपर से दिखाई दे नमाज़ नहीं होगी
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 3,सफह 43
युंही हर ज़िक्रो तिलावतो वज़ायफ के वक़्त भी सर ढ़कना ज़रूरी है,लेकिन कुछ वज़ायफ नंगे सर ही पढ़े जाते हैं उनको उसी तौर पर पढ़ा जाये जैसे कि रोज़गार व आमदनी की क़िल्लत व अदायगीये क़र्ज़ के लिए आलाहज़रत फरमाते हैं
* बाद नमाज़े इशा बावुज़ू किब्ला रू होकर नंगे सर ऐसी जगह खड़े होकर जहां सर और आसमान के बीच कोई चीज़ ना हो (छत पर) 500 बार पढ़ें या मुसब्बेबल असबाब अव्वल आखिर 11,11 बार दुरूद शरीफ,ग़ैब से रोज़ी का इंतज़ाम होगा और पहाड़ के बराबर भी अगर क़र्ज़ होगा तो अदा हो जायेगा,इंशा अल्लाह
📕 अलमलफूज़,हिस्सा 2,सफह 61
📕 शम्ये शबिस्ताने रज़ा,सफह 71
* नंगे सर खाना पीना अदब के खिलाफ है और खिलाफे सुन्नत
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 16,सफह 18
📕 रद्दुल मुख्तार,जिल्द 5,सफह 236
* बल्कि नंगे सर खाने पीने और बिला सर ढ़के बैतुल खला यानि टॉयलेट जाने से तंगदस्ती का खतरा है
📕 सलीक़ये ज़िन्दगी,सफह 100
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