झींगे (PRAWNS) खाने के बारे में शरीअत का क्या हुक्म है


*सुवाल 1: झींगे (PRAWNS) खाने के बारे में शरीअत का क्या हुक्म है*

*जवाब:* मछली के इलावा पानी का हर जानवर हराम है. जैसा के हनफी उलमाए किराम رحمهم الله السلام फरमाते है: 
पानी के हर जानवर का खाना हराम है सिवाए मछली के, के इसका (यानी मछली) खाना हलाल है.

*(फतावा आलमगिरी जिल्द 5 सफहा 289)*

*झींगा मछली है या नहीं?*
इसमें उलमाए किराम का इख्तिलाफ़ है. हमारे इमाम आला हज़रत मौलाना शाह इमाम अहमद रज़ा खान رحمة الله تعالى عليه की तहक़ीक़ ये है के झींगा मछली ही की एक क़िस्म है.
आप رحمة الله تعالى عليه फ़तावा रज़विय्या शरीफ में फरमाते है: फ़कीर ने (यानी मैंने) कुतुबे लुग़त (arabic dictionaries) व कुतुबे तिब (medical science books), व कुतुबे इल्मे हयवान (books of zoology) में बिल इत्तिफ़ाक़ तसरीह देखी  के झींगा मछली है.”
लिहाज़ा आला हज़रत के नज़दीक झींगा एक क़िस्म की मछली है, *लिहाज़ा आपने झींगा खाना हराम नहीं फ़रमाया.*
मगर आखिर में इतना फ़रमाया: *हर हाल में ऐसी शक वाली और इख्तिलाफ़ वाली चीज़ों से बिगैर ज़रुरत बचना ही चाहिए.*

(फ़तावा रज़विय्या जिल्द 20 सफ़हा 336-339)*

सदरुश्शरिया हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद अमजद अली आज़मी رحمة الله تعالى عليه “बहारे शरीअत” में फरमाते है:
झींगे के बारे में इख्तिलाफ है, देखने में उसकी सूरत मछली जैसी मालूम नहीं होती बल्के एक क़िस्म का कीड़ा मालूम होता है लिहाज़ा इसके खाने से बचना ही चाहिए.

(बहारे शरीअत जिल्द 3 सफहा 325)*

*आला हज़रत رحمة الله تعالى عليه ने कभी झींगा नहीं खाया*
खुद फरमाते है: इस फ़कीर और इसके घरवालो ने उम्र भर झींगा नहीं खाया. और न इसे खायेंगे.

मुफ्तिये आज़म पाकिस्तान हजरत अल्लामा मौलाना वक़ारुद्दीन رحمة الله تعالى عليه ने फ़रमाया: मै झींगे नहीं खाता. एक बार घर में पकाए गए थे मैंने कह दिया के झींगे का सालन का चम्मच भी मेरे सालन में न डाला जाये.


*सुवाल 2: केकड़ा खाना हलाल है या हराम?*
*जवाब:* केकड़ा खाना हराम है. जैसा के आपने पढ़ा के मछली के इलावा दरिया का हर जानवर हराम है. और केकड़ा मछली में से नहीं.
आला हज़रत इमामे अहले सुन्नत इमाम अहमद रज़ा खान رحمة الله تعالى عليه फरमाते है: *केकड़ा खाना हराम है.* 

*(फ़तावा रज़विय्या जिल्द 24 सफहा 208)*

हराम चीजों का बेचना-ख़रीदना भी नाजाइज़ और हराम है.
लिहाज़ा जो लोग केकड़ा बेचने का कारोबार करते है वो हराम रोज़ी कमाते है उनको इस से तौबा करके और कोई जाईज़ कारोबार करना चाहिए.
शरीअत के हुक्म पर सरे तस्लीम ख़म करने ही में दोनों जहाँ की भलाई है.
जब शरीअत का  सही मस्अला बताया जाये तो उसके खिलाफ अकड़ना मुसलमान का काम नहीं है.

*अल्लाह पाक हमें दीन का सही इल्म सिख कर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए. आमिन*

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