शैतान घर के क़रीब भी नही आएगा - यह पढ़ने से,Shaitaan Ghar Ke Kareeb Bhi Nahi Aayega-Yah Padne Se


*शैतान घर के क़रीब भी नही आएगा - यह पढ़ने से*

👉🏻 नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया: जिस घर में यह 2 आयतें तीन रात तिलावत हों उस घर के शैतान क़रीब भी नहीं आएगा।(तिरमिज़ी 2882)

👉🏻 पूरा क़ुरआन दुनिया मे नाज़िल हुआ लेकिन यह 2 आयत नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को 7 आसमानों के ऊपर मेराज में दी गईं।

👉🏻 सूरह बकर: की आखरी 2 आयतें

*सूरह बकर: की आखरी 2 आयतें*

آمَنَ الرَّسُولُ بِمَا أُنْزِلَ إِلَيْهِ مِنْ رَبِّهِ وَالْمُؤْمِنُونَ كُلٌّ آمَنَ بِاللَّهِ وَمَلَائِكَتِهِ وَكُتُبِهِ وَرُسُلِهِ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍ مِنْ رُسُلِهِ وَقَالُوا سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَإِلَيْكَ الْمَصِيرُ( )لَا يُكَلِّفُ اللَّهُ نَفْسًا إِلَّا وُسْعَهَا لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا اكْتَسَبَتْ رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَا إِنْ نَسِينَا أَوْ أَخْطَأْنَا رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَا إِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهُ عَلَى الَّذِينَ مِنْ قَبْلِنَا رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهِ وَاعْفُ عَنَّا وَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَا أَنْتَ مَوْلَانَا فَانْصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ

आ-म-नर्रसूलु बिमा उन्ज़ि-ल इलैहि मिर्रब्बिही वलमुअ्मिनू-न कुल्लुन् आ म-न बिल्लाहि व मला-इ कतिही व कुतुबिही व रुसुलिही ला नुफ़र्रिकु बै-न अ-ह-दिम्-मिर्रूसुलिही व क़ालू समिअ़्-ना व अतअ़्ना गुफ़रा-न-क रब्बना व इलैकलमस़ीर०  ला युकल्लिफ़ुल्लाहु नफ़्स़न् इल्ला वुस्अ़हा लहा मा क-स-बत् व अ़लैहा मक त सबत् रब्बना ला तुआखि़ज़्ना इन्नसीना औ अख़्तअ्ना रब्बना व ला तहिमल् अ़लैना इसरन् कमा हमल्तहु अ़लल्ल्ज़ी-न मिन् क़ब्लिना रब्बना व ला तुहम्मिलना मा ला त़ा क़-त लना बिही वअ़्-फु अ़न्ना वग़्फ़िर-लना वर्-हम्ना अन्-त मौलाना फ़न्सुर्-ना अ़-लल् क़ौ मिल्-कफ़िरीन०

*तर्जुमा:* रसूल उस (किताब) पर ईमान लाये जो उनके रब की ओर से उन पर उतारा गया, और मोमीन भी उस पर ईमान लाये, सब अल्लाह पर, और उसके फरिश्तों पर, और उसकी किताबों पर, और उसके रसूलों पर ईमान लाये। (और कहते हैं) हम उसके रसूलों में से किसी में कुछ फर्क नहीं करते, और उनका कहना है हमने सुना और मान लिया, ऐ हमारे रब! हम तुझ ही से माफ़ी चाहते हैं और तेरी ही ओर (हम सब को) लौटकर जाना है। अल्लाह किसी शख़्स पर उसकी ताक़त से ज़्यादा बोझ नहीं डालता, उसे वही मिलेगा जो उसने कमाया है, और वह भुगतेगा (भी) वही जो उसने किया है- ऐ हमारे रब! अगर हमसे भूल चूक हो जाए तो हमारी पकड़ न कर, ऐ हमारे रब! हम पर ऐसा बोझ न डाल जैसा कि तूने हमसे पहले के लोगों पर डाला था, ऐ हमारे रब! हमसे वह बोझ न उठवा जिस की हममें ताक़त नहीं, और हमें माफ़ कर, और हमको बख़्स दे, और हम पर रहम कर, तुही हमारा मौला (काम बनाने वाला) है, काफ़िरों (इन्कारियों) पर हमारी मदद फरमा।" (क़ुरआन 2:285-286)

*फ़ज़ीलत:* 1.हर (मुश्किलात,परेशानी) से काफी हो जायेगी।(मुस्लिम: 807) 2.जिस घर में तीन रात तिलावत हों उस घर घर के शैतान क़रीब भी नहीं आएगा।(तिरमिज़ी 2882) 3.नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सबे मैराज़ में दी गयीं।(173)

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      *🌷जज़ाकल्लाह खैरन🌷*
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