गाने की तर्ज़ में नाते पाक और सलाम पढ़ना,Gaane Ki Tarz Mein Naatein Paak Aur Salaam Padna


_*गाने की तर्ज़ में नाते पाक और सलाम पढ़ना!*_

अल्लामा साकिब रज़ा मुस्तफ़ाई फ़रमाते है कि थूक दान को 100 मर्तबा धो लो लेकिन उसमें किसी को दूध दोगे तो क्या वह पियेगा ?
लौटे *(बैतूल खला में इस्तिमाल होता है)* में पानी नही पीता क्योंकि उसकी निस्बत किसी और चीज़ से है इसी तरह जिस तर्ज़ में गाना गाया गया हो तो अल्लाह के नबी की नात का तक़ददूस ये है कि उस तर्ज़ में अब नात न पढ़ी जाए और जब उस तर्ज़ में नात पढी जाती है तो कुछ लोगो के अंदर गाना चल रहा होता है।  ये नात की हुरमत के ख़िलाफ़ है उसकी इज़्ज़त और वक़ार के ख़िलाफ़ है की नात पढ़ते हुवे इंसान का ख़्याल कही और हो बल्कि उस वक़्त पूरा ख़्याल और नज़र गुम्बदे खजरा कि जानिब होना चाहिए!

*लिहाज़ा ऐसे नातखवाहो से बचें और जो नात ख्वा इस तरह से पढ़ते है उन्हें भी चाहिए कि आइंदा से इस तरह न पड़े।*
_*हज़रत बयज़ीद बूस्तामी हो या हज़रते जुनैद बग़दादी रहमतुल्लाह अलैह ये दोनों जब हुज़ूर अलैहिस्सलाम की बारगाह में जाते थे तो सांस भी रोक लिया करते थे कि यहां सांस का शोर बे अदब के ख़िलाफ़ है तो गानों की तर्ज़ में सलाम और नाते पाक पढ़ना किस क़द्र बेअदबी होगी ?*_✍🏻

Comments

Popular posts from this blog

Sabse Pehle Kaun Si Namaz Kisne Ada Ki?

14 SH'ABAN ko Namaz-E-Magrib* ke Baad, *6 RAKAT NAMAZ NAFIL

सदक़ा जो मौत को भी टाल देता है,Sadqa Jo Maut Ko Bhi Taal Deta Hai