मस्जिद की इफ़्त़ारी ग़ैर रोज़ेदार को खाना ह़राम है,Masjid Ki Iftari Gair Rozedaar Ko Khana Haraam Hai


✍🏻मस्जिद की इफ़्त़ारी ग़ैर रोज़ेदार को खाना ह़राम है.....! 👇🏻

सरकार आला ह़ज़रत अज़ीमुल बरकत मुजद्दिद ए दीन ओ मिल्लत अश'शाह *इमाम अह़मद रज़ा ख़ान* फ़ाज़िल ए बरेलवी रदिअल्लाहु ताला अन्हु वा अर्दाहो अन्ना *फ़तावा रज़विय्या शरीफ़* में इर्शाद फ़रमाते हैं कि *मस्जिद की इफ़्त़ारी* ग़ैर रोज़ेदार को खाना ह़राम है क्यूंकि *मस्जिद की इफ़्त़ारी* भेजने वाले ने *रोज़ेदारों* के लिए वक़्फ़ किया है *वक़्फ़ का माल* *मिस्ल ए माल ए यतीम* है जिसे नाह़क़ खाने पर *अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त* ने इर्शाद फ़रमाया:

  *_اِنَّمَا یَأکُلُوْنَ فِیْ بُطُوْنِھمْ نَارًا وَّ سَیَصْلَوْنَ سَعِیْرًا_*

*_तर्जुमा:-_* अपने पेट में निरी आग भरते हैं और अनक़रीब जहन्नम में जायेंगे.....!



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*{सूरह ए निसा आयत न॰10}*


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*{फ़तावा रज़विय्या शरीफ़ जिल्द 16  सफ़्ह़ा 485 से 488 तक}*

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