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गाने की तर्ज़ में नाते पाक और सलाम पढ़ना,Gaane Ki Tarz Mein Naatein Paak Aur Salaam Padna

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_*गाने की तर्ज़ में नाते पाक और सलाम पढ़ना!*_ अल्लामा साकिब रज़ा मुस्तफ़ाई फ़रमाते है कि थूक दान को 100 मर्तबा धो लो लेकिन उसमें किसी को दूध दोगे तो क्या वह पियेगा ? लौटे *(बैतूल खला में इस्तिमाल होता है)* में पानी नही पीता क्योंकि उसकी निस्बत किसी और चीज़ से है इसी तरह जिस तर्ज़ में गाना गाया गया हो तो अल्लाह के नबी की नात का तक़ददूस ये है कि उस तर्ज़ में अब नात न पढ़ी जाए और जब उस तर्ज़ में नात पढी जाती है तो कुछ लोगो के अंदर गाना चल रहा होता है।  ये नात की हुरमत के ख़िलाफ़ है उसकी इज़्ज़त और वक़ार के ख़िलाफ़ है की नात पढ़ते हुवे इंसान का ख़्याल कही और हो बल्कि उस वक़्त पूरा ख़्याल और नज़र गुम्बदे खजरा कि जानिब होना चाहिए! *लिहाज़ा ऐसे नातखवाहो से बचें और जो नात ख्वा इस तरह से पढ़ते है उन्हें भी चाहिए कि आइंदा से इस तरह न पड़े।* _*हज़रत बयज़ीद बूस्तामी हो या हज़रते जुनैद बग़दादी रहमतुल्लाह अलैह ये दोनों जब हुज़ूर अलैहिस्सलाम की बारगाह में जाते थे तो सांस भी रोक लिया करते थे कि यहां सांस का शोर बे अदब के ख़िलाफ़ है तो गानों की तर्ज़ में सलाम और नाते पाक पढ़ना किस क़द्र बेअदबी होगी ?*_✍🏻

​मेहमान नवाज़ी,Mehman Nawazi

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​मेहमान नवाज़ी​ ​मेहमान नवाज़ी हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है आप बग़ैर मेहमान के कभी खाना तनावुल नहीं फरमाते थे यहां तक कि अगर कभी कोई ना मिलता तो आप किसी की तलाश में एक दो मील तक सफर कर आते थे कि कोई मिल जाए जिसके साथ आप खाना खायें,मेहमान का आना रहमते खुदावन्दी का आना है और वो अपना रिज़्क़ खुद लेकर आता है इसलिए मेहमान के आने पर खुशी का इज़हार करना चाहिये मेहमान के आने पर नाखुश होना या उसको हिकारत से देखना तंगी और मुफलिसी का बाइस है,चंद हदीसे पाक मुलाहज़ा फरमायें​ ​हदीस​ - जिस घर में लोगों को खाना खिलाया जाता है भलाई उसकी तरफ कोहान की तरफ जाने वाली छुरी से भी तेज़ दौड़ती है  📕 इब्ने माजा,सफह 204 ​हदीस​ - अपने मेहमान की ताज़ीम करो  📕 मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 50 ​हदीस​ - लोगों ने अर्ज़ किया कि या रसूल अल्लाह सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम हम खाते हैं मगर हमारा पेट नहीं भरता तो आप सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि शायद तुम लोग अलग अलग खाते हो अर्ज़ की हां तो फरमाया कि इकठ्ठा खाया करो और बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर शुरू करो 📕 इब्ने माजा,सफह 236 ​फुक़्हा​ - उस शख्...

MUREED_KAISE_HONE_CHAHIYE

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💜#MUREED_KAISE_HONE_CHAHIYE 💜 🔷🌹 HAZRAT AMIR KHUSRO (RADI ALLAHO TA AALA ANHO) JAISE HONE CHAHIYE🌹🔷 ➖Hazrat Amir Khusru (RADI ALLAHO TA AALA ANHO) se kafi khalifa jalte they kyu ki wo Nizamudin Auliya (RADI ALLAHO TA AALA ANHO) ke sab se chaheete they,  〰Ek din sab khulfa sath mein  jaa rahe they, raaste main ek Bacha dikha Nizamudin Auliya (RADI ALLAHO TA AALA ANHO) ne uspar hath phera aur aage chal pade, baki ke khalifaon ne bhi peer ki Adaa ko Adaa kartay hue us bachay par hath pehra, siwaey Ameer Khusro (RADI ALLAHO TA AALA ANHO) ke, sab khalifa dil me bura bhala kehnay lagay ki bada ashiq hai peer ki Adaa ko nahi apnata aur ishq ki baat karta hai, ➖Hazrat Nizamudin Auliya (RADI ALLAHO TA AALA ANHO) ke haal par sab haal zahir tha-,  Aap sidhaey ek lohar ki dukan main ghus gaye jaha loha pith raha tha, Aap ne garam garam loha ko hath say uthaya aur chum kar rakh diya,  Ab kisi khalifa ki Himmat nahi hui us garam lohay ko chumnay ki, Hazrat A...

वक़्त को कभी बुरा न कहो,Waqt Ko Kabhi Bura Na Kaho

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*वक़्त को कभी बुरा न कहो* *========================* अक्सर देखा गया है कुछ बुरा हुआ... तो लोग कहते है कि वक़्त बुरा चल रहा है... कुछ अच्छा हुआ... तो वक़्त अच्छा चल रहा हैं... वक़्त में कोई power है जो किसी का अच्छा या बुरा कर सके... हर चीज़ की तरह वक़्त भी अल्लाह का गुलाम हैं... कुछ बुरा हो तो समझो अल्लाह की आज़माईश है... हमारे अपने आमाल की अच्छा हो... तो करम अल्लाह का और ऐसी कोशिश में हम लगे रहे कि अल्लाह का करम बना रहे... अल्लाह हमें सही समझ अता फरमाये... और हम अपने अल्फ़ाज़ों की अदाएगी दुरुस्त करे ऐसे हमारा ज़हन बनाये... अच्छी सोच और दुरुस्त अल्फ़ाज़ों में है ख़ैर... अल्लाह अपने करम से बनाये हमारी हर सुबह...

MISVAAK MEIN MAUT KE ILAVAH HAR BEEMARI SE SHIFA HAI

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🌹HADIS SHARIF 🌹 "  MISVAAK MEIN MAUT KE ILAVAH HAR BEEMARI SE SHIFA HAI. " 📚KAZUL UMMAL. J. NO. 9,PAGE.NO.311)  Hazrat SIRRI SAQTI radiyallahu anhu (visaal, 253.hijri) ne farmaya.  " ameer padhosiyon,  bazaari qaariyon aur daulat mand aalimo se door raho. " 💠 " budha hone se pahle kuch kaam karlo kiyun ke zaif (kamzor)  ho kar kuch na karsakoge. " 💠 * jo shakhs is bat ka aarzu mand hai ke us ka deen salamat rahe aur us ke jism aur rooh dono ko rahat mily aur fikr va gham me kami ho to us ko chahiye ke dunya se alyhidagi ikhtiyaar kare. * 📚TAZKIRA E MASHAIKHE QADRIA. 1/88)  🌷

AAINE YA SHEESHE KE SAMNE NAMAZ PADHNE KA BAYAN

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*➡ AAINE YA SHEESHE KE SAMNE NAMAZ PADHNE KA BAYAN* ◽◽◽◽◽◽◽◽ *SAWAAL:-*  Ek masjid k mehrab me sheesha laga hua..namaz padhte waqt sheeshe me aks nazar aata hai....isk liye kya hukm hai.? 👉🏻 JAWAAB 👈🏻 🚦Alahazrat farmaate hain: "Mujhse aise shakhs ke baare me poochha gaya jisne aayine ke saamne Namaaz parhi, to maine jaayez hone ka fatwa diya, kyunke na to aayine ki ibaadat ki jaati hai aur na usme koi surat chhapi hoti hai, aur na ye kaafiro ki khaas aadat aur pehchaan me se hai. Haan, agar Namaaz parhne ke dauraan usko apni harkatein ya'ni Ruku, Sajda, uthna, baithna waghaira nazar aati hon aur isko lagta hai ke ye usko Namaaz se ghaafil kar dengi, to usko aayine ke saamne hargiz Namaaz na parhni chahiye. *📖 Jaddul Mumtaar: 1/311 & 312* 🚦 Isi tarah SadrusShari'ah Hazrat Allaama Amjad Ali Rahmatullaahi Alaihi farmaate hain: "Aayina saamne ho to Namaaz me karaahat nahi, ke karaahat ki wajah taswir hai, aur taswir yahaan maujood nahi, aur agar aa...

नूर का खिलौना,Noor Ka Khilona

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*🌹नूर का खिलौना🌹* *=========================*      *🌙 जिस चाँद पर साइन्स दान अब पहोचने का दावा कर रहा है वो चाँद तो मेरे प्यारे आक़ा ﷺ के ताबे फरमान है।*      *🌻 चुनान्चे "दलाइलुननुबूव्व्ह" में है : सुल्ताने दो जहां صلى الله عليه وسلم के चचाजान हज़रते अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब رضي الله تعالي عنه फ़रमाते है :* मेने बारगाहे रिसालत में अर्ज़ की : *या रसूलुल्लाह ﷺ !*💫 मेने आप के बचपन में ऐसी बात देखि जो आप की नबुव्वत पर दलालत करती थी और मेरे ईमान लाने के अस्बाब में से ये भी एक सबब था। चुनान्चे मेने देखा की आप गहवारे (यानि पिंघोड़े) में लेटे हुए चाँद से बाते कर रहे थे और जिस तरफ आप ऊँगली से इशारा फ़रमाते चाँद उसी तरफ हो जाता था।      *👑 सरकारे नामदार ﷺ ने फ़रमाया : में उस से बाते करता था और वो मुझसे बाते करता था और मुझे रोने से बहलाता था और में उस के गिरने की आवाज़ सुनता था जब की वो अर्शे इलाही के निचे सज्दे में गिरता था।* *📙 (दलाइलुननुबूव्वत जी.2, स. 41)* *👇🏻आला हज़रत रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाते है :👇🏻* 🌙 चाँद झुक जाता जिधर ऊँगली उ...